ख़ाली हुआ ही था कि खनकने लगा बदन

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
ख़ाली हुआ ही था कि खनकने लगा बदन
फिर हिज्र के नशे में बहकने लगा बदन
ये 'इत्र-वित्र क्या है किसी दिल-नशीं के साथ
दो एक पल रुके थे महकने लगा बदन


शाख़-ए-विसाल पर थी नई ख़्वाहिशों की धूप
सैक़ल हुआ तो और चमकने लगा बदन
पत्थर समझ के उस को गले तो लगा लिया
अन्दर वो आग थी कि छलकने लगा बदन


इस मसअले का हल भी तो होगा तुम्हारे पास
गर दिल के साथ साथ धड़कने लगा बदन
29139 viewsghazalHindi