कभी थे हम-सफ़र राह-ए-मोहब्बत में ख़ुदा और हम

By farhat-ehsasFebruary 6, 2024
कभी थे हम-सफ़र राह-ए-मोहब्बत में ख़ुदा और हम
ख़ुदा अब आसमाँ पर है ज़मीं पर हैं हवा और हम
ग़ज़ल उस ने मुकम्मल ही न होने दी कि मुद्दत से
बस इक शे'र और उस के नाम का इक क़ाफ़िया और हम


अब इतनी शर्म है तुझ को जो खुल कर बात करने से
करेंगे रात भर बातें तिरे बंद-ए-क़बा और हम
मोहब्बत छोड़ कर तुम जाओ दुनिया के मज़े लूटो
समझ लेंगे बस आपस में मोहब्बत की बला और हम


वही ज़ख़्मी बदन है और वही टूटा हुआ दिल है
वही उस की गली और 'आशिक़ी की इब्तिदा और हम
उसे रौनक़ दिखाएँ हम भी अपनी बेवफ़ाई की
किसी महफ़िल में मिल जाएँ अगर वो बेवफ़ा और हम


सब अपने रू-ब-रू हैं गुफ़्तुगू करता नहीं कोई
तुम्हारा आइना और तुम हमारा आइना और हम
हमारे मय-कदे में आख़िर-ए-शब का समाँ देखो
नमाज़-ए-फ़ज्र है और हैं नशे में धुत ख़ुदा और हम


64464 viewsghazalHindi