कब दिया ये जला हवा के लिए
By sabeensaifFebruary 28, 2024
कब दिया ये जला हवा के लिए
'इश्क़ होता नहीं फ़ना के लिए
याद मुझ को न आ ख़ुदा की तरह
अब मुझे बख़्श दे ख़ुदा के लिए
आज देखा शहाब-ए-साक़िब तो
हाथ फैला दिए दु'आ के लिए
मैं ने पूछा कि ज़िंदगी क्यों है
हँस के बोला तिरी सज़ा के लिए
एक लम्हे को जो अमाँ दे दे
कितना तरसे हैं उस रिदा के लिए
दिल से कोई सदा नहीं उभरी
जब से बिछड़ा है वो सदा के लिए
मार देती है जान से हम को
फिर भी मरते हैं हम अना के लिए
अपने ख़ूँ से दिया जलाया है
मैं ने इस सर-फिरी हवा के लिए
रूह को भी असीर कर डाला
हम ने सय्याद की रज़ा के लिए
कौन उन को मिटा सका है 'सबीन'
मिट गए हैं जो कर्बला के लिए
'इश्क़ होता नहीं फ़ना के लिए
याद मुझ को न आ ख़ुदा की तरह
अब मुझे बख़्श दे ख़ुदा के लिए
आज देखा शहाब-ए-साक़िब तो
हाथ फैला दिए दु'आ के लिए
मैं ने पूछा कि ज़िंदगी क्यों है
हँस के बोला तिरी सज़ा के लिए
एक लम्हे को जो अमाँ दे दे
कितना तरसे हैं उस रिदा के लिए
दिल से कोई सदा नहीं उभरी
जब से बिछड़ा है वो सदा के लिए
मार देती है जान से हम को
फिर भी मरते हैं हम अना के लिए
अपने ख़ूँ से दिया जलाया है
मैं ने इस सर-फिरी हवा के लिए
रूह को भी असीर कर डाला
हम ने सय्याद की रज़ा के लिए
कौन उन को मिटा सका है 'सबीन'
मिट गए हैं जो कर्बला के लिए
94714 viewsghazal • Hindi