जब उस बज़्म में हम बुलाए गए

By rizwan-aliFebruary 28, 2024
जब उस बज़्म में हम बुलाए गए
परस्तार ग़म के बनाए गए
ये तू ही बता क्यों तिरे शहर में
सितम अहल-ए-हक़ पर ही ढाए गए


अगर प्यार ख़ुशबू का इक नाम है
तो क्यों इस पे पहरे लगाए गए
कई और भी थे तिरे जाँ-निसार
हमी बज़्म से क्यों उठाए गए


मुझे जब निशाना बनाना ही था
तो क्यों 'ऐब अपने छुपाए गए
कटी 'उम्र ख़ुश-फ़हमियों में मिरी
मुझे ख़्वाब ऐसे दिखाए गए


ख़फ़ा दोस्त 'रिज़वान' होने लगे
उन्हें आइने जब दिखाए गए
45356 viewsghazalHindi