जब मिरी माँ की दु'आओं का असर बोलता है

By rashid-ansarFebruary 28, 2024
जब मिरी माँ की दु'आओं का असर बोलता है
तब कहीं जा के मिरा दस्त-ए-हुनर बोलता है
मुद्दतों बा'द भी होंटों पे तिलावत है वही
आज भी मक़्तल-ए-कर्बल में वो सर बोलता है


ख़ूँ की हर बूँद से तेरी ही सदा आती है
मुझ में बहते हुए दरिया का भँवर बोलता है
कोई आहट है न दस्तक न हवा का झोंका
फिर भी वीरान हवेली का ये दर बोलता है


इन परिंदों ने सिखा दी है उसे अपनी ज़बाँ
इन परिंदों की तरह अब ये शजर बोलता है
मुझ को थकने ही नहीं देता जुनून-ए-मंज़िल
थक के बैठूँ तो मिरा शौक़-ए-सफ़र बोलता है


पेड़ के साथ लिपट और ज़रा कान लगा
यूँ लगेगा कि बड़ा चुप है मगर बोलता है
मेरी ताईद यहाँ कौन करेगा 'अन्सर
शहर का शहर तिरे ज़ेर-ए-असर बोलता है


79463 viewsghazalHindi