जाने क्या कुछ सोच लिया नादानी में

By asim-qamarFebruary 25, 2024
जाने क्या कुछ सोच लिया नादानी में
और फिर 'अर्सा बीत गया हैरानी में
छूने भर से रूह चमकने लगती थी
शायद नूर बसा था उस पेशानी में


होश और ख़्वाब ने अपनी अपनी कोशिश की
बंदा टूट गया इस खींचा-तानी में
इक लड़की का जिस्म चढ़ा था डोली पर
इक लड़के का जिस्म गिरा था पानी में


मुझ में और ज़ियादा अंदर मत आओ
एक आसेब का घर है इस वीरानी में
चाहे सब कुछ देखे फिर भी जाते वक़्त
टीस बची रह जाती है सैलानी में


46278 viewsghazalHindi