इतनी क़ुदरत जो जगमगाती है

By nazar-dwivediFebruary 27, 2024
इतनी क़ुदरत जो जगमगाती है
तेल उस का उसी की बाती है
कितनी नाज़ुक है साँस की डोरी
एक झटके में टूट जाती है


दिल की धड़कन तुझे पता है क्या
तेरी हस्ती को आज़माती है
शुक्र उस का न भूलना हरगिज़
सुब्ह तुझ को जो शय जगाती है


मुझ को हर दम ही ज़िंदगी मेरी
अपना आधा पता बताती है
जीत जाती हैं नफ़रतें हर दम
बस मोहब्बत ही मात खाती है


मौत तुझ तक ये ज़िंदगी आख़िर
कितनी मुश्किल से ख़ुद को लाती है
टूट जाने के डर से अक्सर ही
नींद आते ही लौट जाती है


55536 viewsghazalHindi