'इश्क़ दिल में कई जहानों का

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
'इश्क़ दिल में कई जहानों का
मैं तलबगार हूँ ज़मानों का
ख़्वाहिशों को उड़ान भरना है
ख़त्म है खेल आसमानों का


लफ़्ज़ काटे गए उगाए गए
क्या भला हो गया किसानों का
तुम ने मालिक बना दिया ख़ुश-बाश
जिस्म के बे-बहा ख़ज़ानों का


मौत नक़्शा बनाए बैठी है
शह्र के आख़िरी मकानों का
देर तक नग़्मगी बरसती रही
थम गया सिलसिला अज़ानों का


रात मैं आप और ख़ामोशी
वक़्त है आख़िरी उड़ानों का
दोस्तों को मिरे पता तो है
दुश्मनों के सभी ठिकानों का


89216 viewsghazalHindi