हुस्न पल पल निखरता रहा

By prabhat-patelFebruary 28, 2024
हुस्न पल पल निखरता रहा
'इश्क़ हद से गुज़रता रहा
मैं ने दिल में बसाया जिसे
वो सितम रोज़ करता रहा


पास था वो मगर हिज्र से
'उम्र भर दिल ये डरता रहा
तीरगी थी उफ़ुक़ तक मगर
एक सूरज उभरता रहा


ज़ीस्त करती रही बस सितम
टूट कर मैं बिखरता रहा
ख़ाली दिल का मकाँ देख कर
दर्द मेहमाँ ठहरता रहा


मौत है हम-सफ़र आख़िरी
किस की ख़ातिर सँवरता रहा
44452 viewsghazalHindi