हम अपने शे'र में कुछ पहलू-ए-ज़म डाल देते हैं
By farhat-ehsasFebruary 6, 2024
हम अपने शे'र में कुछ पहलू-ए-ज़म डाल देते हैं
कोई टोके तो ज़म में और भी दम डाल देते हैं
बहुत ऊँचे सुरों में बोलता है जब कोई हम से
तो हम ऊँचे सुरों में अपना मद्धम डाल देते हैं
सुलझने ही न देंगे हम कभी उस ज़ुल्फ़-ए-सरकश को
सुलझने पर जब आती है तो फिर ख़म डाल देते हैं
हमारे ज़ख़्म मरहम को समझते हैं ग़िज़ा अपनी
सो हम ज़ख़्मों के आगे रिज़्क़-ए-मरहम डाल देते हैं
कोई टोके तो ज़म में और भी दम डाल देते हैं
बहुत ऊँचे सुरों में बोलता है जब कोई हम से
तो हम ऊँचे सुरों में अपना मद्धम डाल देते हैं
सुलझने ही न देंगे हम कभी उस ज़ुल्फ़-ए-सरकश को
सुलझने पर जब आती है तो फिर ख़म डाल देते हैं
हमारे ज़ख़्म मरहम को समझते हैं ग़िज़ा अपनी
सो हम ज़ख़्मों के आगे रिज़्क़-ए-मरहम डाल देते हैं
33262 viewsghazal • Hindi