हिसाब-ए-‘उम्र जब देना पड़ेगा
By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
हिसाब-ए-‘उम्र जब देना पड़ेगा
तो जम’-ओ-ख़र्च का झगड़ा पड़ेगा
हमें होगा ख़सारा 'उम्र-भर का
तुझे सौदा बहुत महँगा पड़ेगा
बनी जो सुल्ह का बा'इस किसी दिन
उसी दीवार का झगड़ा पड़ेगा
क़दम उल्टे जहाँ पड़ने लगेंगे
वहाँ से रास्ता सीधा पड़ेगा
ख़राबा ही कोई आबाद कर लो
न जाने कब तलक रहना पड़ेगा
हवा का रुख़ बदलने की तलब में
हवा के साथ भी चलना पड़ेगा
शजर भी काटने हैं आँगनों से
परिंदों का भी दिल रखना पड़ेगा
दोराहे पर खड़े कब तक रहोगे
कोई तो फ़ैसला करना पड़ेगा
तो जम’-ओ-ख़र्च का झगड़ा पड़ेगा
हमें होगा ख़सारा 'उम्र-भर का
तुझे सौदा बहुत महँगा पड़ेगा
बनी जो सुल्ह का बा'इस किसी दिन
उसी दीवार का झगड़ा पड़ेगा
क़दम उल्टे जहाँ पड़ने लगेंगे
वहाँ से रास्ता सीधा पड़ेगा
ख़राबा ही कोई आबाद कर लो
न जाने कब तलक रहना पड़ेगा
हवा का रुख़ बदलने की तलब में
हवा के साथ भी चलना पड़ेगा
शजर भी काटने हैं आँगनों से
परिंदों का भी दिल रखना पड़ेगा
दोराहे पर खड़े कब तक रहोगे
कोई तो फ़ैसला करना पड़ेगा
18798 viewsghazal • Hindi