हवाओं को मैं पढ़ना सीख लूँगा
By khayal-laddakhiFebruary 27, 2024
हवाओं को मैं पढ़ना सीख लूँगा
अगर पत्तों सा झड़ना सीख लूँगा
हक़ीक़त से मुकरना सीख लूँगा
चलो सजना सँवरना सीख लूँगा
रिहा कर दो मुझे तुम बंदिशों से
मैं तन्हाई से लड़ना सीख लूँगा
ख़राबा राह में मिल जाए कोई
ज़रा मैं भी ठहरना सीख लूँगा
लकीरें खुल के आएँ सामने गर
मैं क़िस्मत को भी पढ़ना सीख लूँगा
मिरी हर एक ख़्वाहिश होगी पूरी
दिए को जब रगड़ना सीख लूँगा
अगर रिश्ते निभाना हो ज़रूरी
तो मैं लड़ना-झगड़ना सीख लूँगा
सफ़र की ठोकरों के बा'द मैं भी
कोई दामन पकड़ना सीख लूँगा
अभी ख़ौफ़-ए-ख़ुदा सर पर है तारी
कभी ख़ुद से भी डरना सीख लूँगा
बनाना ख़ुद को सीखा ज़िंदगी-भर
'ख़याल' अब के बिगड़ना सीख लूँगा
अगर पत्तों सा झड़ना सीख लूँगा
हक़ीक़त से मुकरना सीख लूँगा
चलो सजना सँवरना सीख लूँगा
रिहा कर दो मुझे तुम बंदिशों से
मैं तन्हाई से लड़ना सीख लूँगा
ख़राबा राह में मिल जाए कोई
ज़रा मैं भी ठहरना सीख लूँगा
लकीरें खुल के आएँ सामने गर
मैं क़िस्मत को भी पढ़ना सीख लूँगा
मिरी हर एक ख़्वाहिश होगी पूरी
दिए को जब रगड़ना सीख लूँगा
अगर रिश्ते निभाना हो ज़रूरी
तो मैं लड़ना-झगड़ना सीख लूँगा
सफ़र की ठोकरों के बा'द मैं भी
कोई दामन पकड़ना सीख लूँगा
अभी ख़ौफ़-ए-ख़ुदा सर पर है तारी
कभी ख़ुद से भी डरना सीख लूँगा
बनाना ख़ुद को सीखा ज़िंदगी-भर
'ख़याल' अब के बिगड़ना सीख लूँगा
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