हवा के झोंके जो आएँ तो उन से कुछ न कहो
By khalilur-rahman-azmiFebruary 27, 2024
हवा के झोंके जो आएँ तो उन से कुछ न कहो
जो आग ख़ुद ही लगाई है उस में जलते रहो
ये दिल का दर्द तो साथी तमाम 'उम्र का है
ख़ुशी का एक भी लम्हा मिले तो उस से मिलो
हमेशा सच ही नहीं बोलता है आईना
ख़ुद अपने आप से हर लहज़ा 'उम्र मत पूछो
यहाँ तो कुछ भी नहीं जुज़ ख़ला-ए-बे-पायाँ
हमारी आँखों की गहराइयों में मत झाँको
खुला है और न खुलेगा किसी का दरवाज़ा
तो आओ कूचा-ए-जानाँ को शब-ब-ख़ैर कहो
जो आग ख़ुद ही लगाई है उस में जलते रहो
ये दिल का दर्द तो साथी तमाम 'उम्र का है
ख़ुशी का एक भी लम्हा मिले तो उस से मिलो
हमेशा सच ही नहीं बोलता है आईना
ख़ुद अपने आप से हर लहज़ा 'उम्र मत पूछो
यहाँ तो कुछ भी नहीं जुज़ ख़ला-ए-बे-पायाँ
हमारी आँखों की गहराइयों में मत झाँको
खुला है और न खुलेगा किसी का दरवाज़ा
तो आओ कूचा-ए-जानाँ को शब-ब-ख़ैर कहो
26352 viewsghazal • Hindi