हरी-भरी थी टहनी सुर्ख़ गुलाब की भी
By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
हरी-भरी थी टहनी सुर्ख़ गुलाब की भी
'अजब कहानी थी सूखे तालाब की भी
आँख में एक सफ़र है रेगिस्तानों का
एक मसाफ़त दरियाओं के ख़्वाब की भी
खुले रखो दरवाज़े अँधेरी रातों में
कभी ज़रूर आएगी किरन महताब की भी
हँसती-गाती आबादी को उजाड़ने में
हालत ग़ैर हुई होगी सैलाब की भी
कब तक आख़िर दिल की बात न कहता 'जमाल'
हद होती है महफ़िल के आदाब की भी
'अजब कहानी थी सूखे तालाब की भी
आँख में एक सफ़र है रेगिस्तानों का
एक मसाफ़त दरियाओं के ख़्वाब की भी
खुले रखो दरवाज़े अँधेरी रातों में
कभी ज़रूर आएगी किरन महताब की भी
हँसती-गाती आबादी को उजाड़ने में
हालत ग़ैर हुई होगी सैलाब की भी
कब तक आख़िर दिल की बात न कहता 'जमाल'
हद होती है महफ़िल के आदाब की भी
32907 viewsghazal • Hindi