हर एक ज़ख़्म-ए-शनासाई इक कहानी है

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
हर एक ज़ख़्म-ए-शनासाई इक कहानी है
मिले नहीं हैं जो लोग उन की मेहरबानी है
ये हौसला तो तुझे जीत कर नसीब हुआ
वगर्ना हार के किस ने शिकस्त मानी है


दिये की लौ से जो तहरीर मैं ने लिक्खी थी
हवा के पास वो अब तक मिरी निशानी है
समुंदरों का सफ़र आज तो मज़ा देगा
हवा भी तेज़ है कश्ती भी बादबानी है


'जमाल' खेल नहीं है कोई ग़ज़ल कहना
कि एक बात बतानी है इक छुपानी है
42662 viewsghazalHindi