हमें तो नश्शा-ए-हिज्राँ निढाल छोड़ गया

By salim-saleemFebruary 28, 2024
हमें तो नश्शा-ए-हिज्राँ निढाल छोड़ गया
वो ख़्वान-ए-जिस्म पे रिज़्क़-ए-विसाल छोड़ गया
लहक रहा था कहीं मुझ में कोई सब्ज़ा-ए-ख़्वाब
वो आया कर के उसे पाएमाल छोड़ गया


मैं उस से माँग रहा था जो एक ज़ख़्म की भीक
वो मेरे पास ज़र-ए-इंदिमाल छोड़ गया
26197 viewsghazalHindi