गुनाह अपने गिनाता हूँ डरने लगता हूँ
By aadarsh-dubeyFebruary 25, 2024
गुनाह अपने गिनाता हूँ डरने लगता हूँ
ख़ुदा के सामने जाता हूँ डरने लगता हूँ
कुछ इतना खौफ़ज़दा हूँ मैं अपने कमरे में
कोई चराग़ जलाता हूँ डरने लगता हूँ
अब इस मक़ाम पे पहुँची है मेरी तन्हाई
क़रीब ख़ुद के भी जाता हूँ डरने लगता हूँ
क़रीब देख के मुझ को लिपट न जाए कहीं
मैं उस की बज़्म में जाता हूँ डरने लगता हूँ
कहीं वो जान न ले मेरे दिल की हालत को
किसी को शे'र सुनाता हूँ डरने लगता हूँ
ख़ुदा के सामने जाता हूँ डरने लगता हूँ
कुछ इतना खौफ़ज़दा हूँ मैं अपने कमरे में
कोई चराग़ जलाता हूँ डरने लगता हूँ
अब इस मक़ाम पे पहुँची है मेरी तन्हाई
क़रीब ख़ुद के भी जाता हूँ डरने लगता हूँ
क़रीब देख के मुझ को लिपट न जाए कहीं
मैं उस की बज़्म में जाता हूँ डरने लगता हूँ
कहीं वो जान न ले मेरे दिल की हालत को
किसी को शे'र सुनाता हूँ डरने लगता हूँ
43409 viewsghazal • Hindi