घर की जानिब वो चल रहा होगा

By salim-saleemFebruary 28, 2024
घर की जानिब वो चल रहा होगा
शाम के साथ ढल रहा होगा
आइने तोड़ भी दिए होंगे
जब वो चेहरा बदल रहा होगा


इक ज़माना था जिस की मुट्ठी में
वक़्त उसे भी निगल रहा होगा
कोई दिल देख शम'-ए-बे-मेहरी
बर्फ़ जैसा पिघल रहा होगा


मुद्दतों बा'द मेरे अंदर से
कोई बाहर निकल रहा होगा
तेरे लब पर हँसी रही होगी
मेरे माथे पे बल रहा होगा


इक वही ख़्वाब जो नहीं देखा
मेरी आँखों में पल रहा होगा
14496 viewsghazalHindi