इक हुस्न-ए-कामयाब है मौसम बसंत का

By bishan-dayal-shad-dehlviFebruary 26, 2024
इक हुस्न-ए-कामयाब है मौसम बसंत का
'इशरत से बारयाब है मौसम बसंत का
नग़्मा-सरा रबाब है मौसम बसंत का
बेदारी-ए-शबाब है मौसम बसंत का


दिल-दादा-ए-शराब है मौसम बसंत का
पैमाना-ए-सवाब है मौसम बसंत का
सब मौसमों की आब है मौसम बसंत का
वल्लाह आफ़्ताब है मौसम बसंत का


सोना बिछा हुआ है हर इक सब्ज़ा-ज़ार पर
तस्वीर-ए-इन्क़िलाब है मौसम बसंत का
हर चीज़ पर उभार है हर शक्ल पर निखार
उमडा हुआ शबाब है मौसम बसंत का


सरसों की आबरू पे ज़माने की है नज़र
क़िस्मत का लाजवाब है मौसम बसंत का
रंगीनियों में इस की मोहब्बत की है झलक
तस्वीर-ए-बे-हिजाब है मौसम बसंत का


हर ज़िंदगी पे छाई हुई बे-ख़ुदी सी है
बिखरी हुई शराब है मौसम बसंत का
दामन में जिस के फूलती फलती है आरज़ू
वो हुस्न-ए-शोख़-ओ-शाब है मौसम बसंत का


क्या मंज़र-ए-हसीं है कि दिल शाद 'शाद' है
जागीर-ए-इज़्तिराब है मौसम बसंत का
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