दिलों में यूँ तो लाखों ग़म निहाँ हैं

By rizwan-aliFebruary 28, 2024
दिलों में यूँ तो लाखों ग़म निहाँ हैं
मगर चेहरे हमारे शादमाँ हैं
जहाँ छोड़ा है मुझ को रहबरों ने
वहाँ हर काम पर तारीकियाँ हैं


इन्ही से हाल-ए-दिल पढ़ लो हमारा
कि इन आँखों की भी अपनी ज़बाँ हैं
उसे मुमकिन नहीं मैं भूल जाऊँ
कि जिस का ग़म मिरे दिल में निहाँ है


हमें बदनाम हर सू कर रहा है
अगरचे वो हमारा राज़-दाँ हैं
जिसे ख़ुद से ज़ियादा चाहता था
वही एक दोस्त मुझ से बद-गुमाँ हैं


हमें 'रिज़वान' मंज़िल भी मिलेगी
अगर 'अज़्म-ए-सफ़र दिल में जवाँ हैं
68761 viewsghazalHindi