दिल के एहसास में भी जान तो हो सकती है
By kunaal-barkadeFebruary 27, 2024
दिल के एहसास में भी जान तो हो सकती है
गर बनाएँ ग़ज़ल इंसान तो हो सकती है
ये लड़ाई है मोहब्बत की जो नफ़रत से यहाँ
इक क़लम जंग का सामान तो हो सकती है
उँगलियाँ मेरी मुसलसल जहाँ चलती जाएँ
तेरी ये ज़ुल्फ़ वो मैदान तो हो सकती है
न हो आबाद मगर हुस्न बढ़ाने के लिए
शहर-ए-दिल की गली वीरान तो हो सकती है
औरों के नाम से भी साहिब-ए-दीवान हों पर
मेरे मे'यार की पहचान तो हो सकती है
शहरियत मिलनी नहीं प्यार को उस के दिल में
कुछ दिनों के लिए मेहमान तो हो सकती है
दर्द की मेरे दवा तो न बनाई किसी ने
कुछ मदद 'मीर' का दीवान तो हो सकती है
गर बनाएँ ग़ज़ल इंसान तो हो सकती है
ये लड़ाई है मोहब्बत की जो नफ़रत से यहाँ
इक क़लम जंग का सामान तो हो सकती है
उँगलियाँ मेरी मुसलसल जहाँ चलती जाएँ
तेरी ये ज़ुल्फ़ वो मैदान तो हो सकती है
न हो आबाद मगर हुस्न बढ़ाने के लिए
शहर-ए-दिल की गली वीरान तो हो सकती है
औरों के नाम से भी साहिब-ए-दीवान हों पर
मेरे मे'यार की पहचान तो हो सकती है
शहरियत मिलनी नहीं प्यार को उस के दिल में
कुछ दिनों के लिए मेहमान तो हो सकती है
दर्द की मेरे दवा तो न बनाई किसी ने
कुछ मदद 'मीर' का दीवान तो हो सकती है
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