दिल-ए-पज़-मुर्दा को हम-रंग-ए-अब्र-ओ-बाद कर देगा
By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
दिल-ए-पज़-मुर्दा को हम-रंग-ए-अब्र-ओ-बाद कर देगा
वो जब भी आएगा इस शहर को बर्बाद कर देगा
वो सारे राब्ते तोड़ेगा हम से और अचानक फिर
त'अल्लुक़ की नई सूरत कोई ईजाद कर देगा
गुज़र जाएगी ये भी शाम पिछली शाम के मानिंद
कि मैं कुछ 'अर्ज़ कर दूँगा वो कुछ इरशाद कर देगा
मैं उस से मिलने क्यों दिल को भला हमराह ले जाऊँ
कि ये इक 'उम्र की मेहनत मिरी बर्बाद कर देगा
वो जब भी आएगा इस शहर को बर्बाद कर देगा
वो सारे राब्ते तोड़ेगा हम से और अचानक फिर
त'अल्लुक़ की नई सूरत कोई ईजाद कर देगा
गुज़र जाएगी ये भी शाम पिछली शाम के मानिंद
कि मैं कुछ 'अर्ज़ कर दूँगा वो कुछ इरशाद कर देगा
मैं उस से मिलने क्यों दिल को भला हमराह ले जाऊँ
कि ये इक 'उम्र की मेहनत मिरी बर्बाद कर देगा
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