देखते रहिए दूर जाते हुए
By nomaan-shauqueFebruary 27, 2024
देखते रहिए दूर जाते हुए
यही होना था आज़माते हुए
जाने हो कौन कैसी हालत में
काँपता हूँ दिया जलाते हुए
एक दिन राख हो गए दोनों
आग को आग से बुझाते हुए
मर के ज़िंदा बचे हो कितनी बार
याद रखना था चोट खाते हुए
वो जो पहला चराग़ था घर का
बुझ गया रौशनी बनाते हुए
'उम्र की रेल थी रुकी ही नहीं
सब हुए दूर पास आते हुए
मैं सितारा बना न तुम हुए ख़ाक
डर था कैसा गले लगाते हुए
यही होना था आज़माते हुए
जाने हो कौन कैसी हालत में
काँपता हूँ दिया जलाते हुए
एक दिन राख हो गए दोनों
आग को आग से बुझाते हुए
मर के ज़िंदा बचे हो कितनी बार
याद रखना था चोट खाते हुए
वो जो पहला चराग़ था घर का
बुझ गया रौशनी बनाते हुए
'उम्र की रेल थी रुकी ही नहीं
सब हुए दूर पास आते हुए
मैं सितारा बना न तुम हुए ख़ाक
डर था कैसा गले लगाते हुए
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