दवा के नाम से हालत ख़राब होती है

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
दवा के नाम से हालत ख़राब होती है
'इलाज से मिरी सेहत ख़राब होती है
जब और मुझ पे मसीहा तवज्जोह देता है
कुछ और मेरी तबी'अत ख़राब होती है


चराग़-ए-राह के बुझने से कुछ नहीं होता
प शाम-ए-कू-ए-मलामत ख़राब होती है
ये सोच कर नहीं कोई जहान का मालिक
कभी कभी मिरी निय्यत ख़राब होती है


ख़ुदा के वास्ते तफ़रीक़-ओ-जम' कर न यहाँ
फ़ज़ा-ए-शहर-ए-मोहब्बत ख़राब होती है
ये कार-ए-'इश्क़ है याँ इक घड़ी की ग़फ़लत से
तमाम 'उम्र की मेहनत ख़राब होती है


दयार-ए-'इश्क़ में मिलती है सुर्ख़-रूई उसे
कि जिस की जितनी भी 'इज़्ज़त ख़राब होती है
50081 viewsghazalHindi