छोड़ कर मुझ को कहीं और अगर जाना है

By meem-maroof-ashrafFebruary 27, 2024
छोड़ कर मुझ को कहीं और अगर जाना है
जा इजाज़त है तुझे तुझ को जिधर जाना है
तू तो ख़ुशबू है किसी सम्त चला जाएगा
मैं हूँ इक रेत का पैकर सो बिखर जाना है


एक मुद्दत है हुई राह में चलते लेकिन
इस का जाना ही नहीं है कि किधर जाना है
अब तिरी याद भी कब मुझ पे असर करती है
तू भी इक रोज़ मिरे दिल से उतर जाना है


लाख पड़ जाएँ हमें जान के लाले लेकिन
जान तुझ को ही मिरी जान मगर जाना है
हम तो 'आशिक़ हैं मियाँ हम हैं शबों के 'आदी
आप जा सकते हैं गर आप को घर जाना है


कीजे फ़िर'औन से शद्दाद से 'इबरत हासिल
ज़ेर ये हो गए सारे जो ज़बर जाना है
बस यही सोचते हम तुम तो न नफ़रत करते
न सही आज मगर कल हमें मर जाना है


अब के बिछड़े हैं तो ये जी में है आया 'क़ैसर'
अब नहीं जीना यहाँ जाँ से गुज़र जाना है
90436 viewsghazalHindi