छलावा हो परी हो हूर हो महशर-लक़ा तुम हो

By piyare-lal-raunaq-dehlwiFebruary 28, 2024
छलावा हो परी हो हूर हो महशर-लक़ा तुम हो
समझ में कुछ नहीं आता ख़ुदा जाने कि क्या तुम हो
सरापा नाज़ हो रश्क-ए-परी हो मह-लक़ा तुम हो
फ़रोग़-ए-रू-ए-'आलम हो तजल्ली हो ज़िया तुम हो


कहीं हो ताज़गी-ए-गुल कहीं बाद-ए-सबा तुम हो
मिरी जाँ गुलशन-ए-हुस्न-ओ-जवानी की फ़ज़ा तुम हो
सरापा ग़म्ज़ा-ओ-शोख़ी-ओ-अंदाज़-ओ-अदा तुम हो
कभी तेग़-ए-दो-पैकर हो कभी तीर-ए-क़ज़ा तुम हो


खिचे अबरू चढ़ी चितवन ग़ज़ब बदले हुए तेवर
बशक्ल-ए-ख़ंजर-ए-खूँ-ख़्वार 'आशिक़ की क़ज़ा तुम हो
दम-ए-रफ़्तार साए से भी अपने बच के चलते हो
उड़ा रख्खा है शोख़ी ने कि पाबंद-ए-हया तुम हो


सँभालो होश ठेरो फिर उठाना हाथ में ख़ंजर
लड़कपन है बहुत कमसिन अभी नाम-ए-ख़ुदा तुम हो
फँसे हो किस ग़ज़ब में हज़रत-ए-दिल क्या क़यामत है
असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ हो गिरफ़्तार-ए-बला तुम हो


हमारे दिल में तुम और हम तुम्हारे दिल में रहते हैं
न कुछ तुम से जुदा हम हैं न कुछ हम से जुदा तुम हो
निकल कर अब कहाँ जाओगे दिल से आरज़ू हो कर
मिरी हसरत मिरा अरमान मेरा मुद्द'आ तुम हो


मुकर जाते हो दिल ले कर ज़रा ग़ैरत नहीं आती
बड़े दम-बाज़ हो झूटे हो मतलब-आश्ना तुम हो
सुना जब ज़िक्र चाहत का तो यूँ अंदाम से बोले
यही सूरत है मेरे चाहने वालों में क्या तुम हो


तुम्हारा ही तुम्हारा हर रग-ओ-रेशा में जल्वा है
नज़र में जान में आँखों में दिल में जा-बजा तुम हो
30272 viewsghazalHindi