चाँद हो जिस तरह सितारों में
By rizwan-aliFebruary 28, 2024
चाँद हो जिस तरह सितारों में
मुनफ़रिद है वो माह-पारों में
जो भी उट्ठी निगाह तेरी तरफ़
हो गई गुम हसीं नज़ारों में
छू के दामन को छोड़ते ही नहीं
कितनी अपनाइयत है ख़ारों में
मैं भी वासी किसी चमन का हूँ
मुझ को रख फूलों की क़तारों में
कैसा बदला है गुलसिताँ का निज़ाम
देखता हूँ ख़िज़ाँ बहारों में
आग में आज किस को झोंका गया
फूल खिलने लगे शरारों में
क्यों हक़ारत से देखते हो हमें
थे कभी हम भी ताजदारों में
जब से दिल उस ने मेरा तोड़ दिया
बे-सुकूँ रहता है बहारों में
डर है शायद उन्हें ज़माने का
बात करते हैं जो इशारों में
किस ने पूछा है हाल-ए-दिल 'रिज़वान'
चैन आया है बे-क़रारों में
मुनफ़रिद है वो माह-पारों में
जो भी उट्ठी निगाह तेरी तरफ़
हो गई गुम हसीं नज़ारों में
छू के दामन को छोड़ते ही नहीं
कितनी अपनाइयत है ख़ारों में
मैं भी वासी किसी चमन का हूँ
मुझ को रख फूलों की क़तारों में
कैसा बदला है गुलसिताँ का निज़ाम
देखता हूँ ख़िज़ाँ बहारों में
आग में आज किस को झोंका गया
फूल खिलने लगे शरारों में
क्यों हक़ारत से देखते हो हमें
थे कभी हम भी ताजदारों में
जब से दिल उस ने मेरा तोड़ दिया
बे-सुकूँ रहता है बहारों में
डर है शायद उन्हें ज़माने का
बात करते हैं जो इशारों में
किस ने पूछा है हाल-ए-दिल 'रिज़वान'
चैन आया है बे-क़रारों में
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