चाँद देखा कि बस वो याद आए
By betab-amrohviFebruary 26, 2024
चाँद देखा कि बस वो याद आए
और आँखों ने अश्क बरसाए
ये क़फ़स है कि आशियाँ तो नहीं
जी क़फ़स में न कैसे घबराए
मुझ को आख़िर क़फ़स में ला डाला
वाह सय्याद-ए-साइबुर्राए
दिन-दहाड़े डराते रहते हैं
आज-कल ख़ुद मुझे मिरे साए
मुझ को अपना बना के छोड़ दिया
तुम ने ये क्या ग़ज़ब किया हाए
और आँखों ने अश्क बरसाए
ये क़फ़स है कि आशियाँ तो नहीं
जी क़फ़स में न कैसे घबराए
मुझ को आख़िर क़फ़स में ला डाला
वाह सय्याद-ए-साइबुर्राए
दिन-दहाड़े डराते रहते हैं
आज-कल ख़ुद मुझे मिरे साए
मुझ को अपना बना के छोड़ दिया
तुम ने ये क्या ग़ज़ब किया हाए
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