चलते चलते साथी कोई बिछड़ा तो अफ़सोस हुआ

By irfan-aazmiFebruary 6, 2024
चलते चलते साथी कोई बिछड़ा तो अफ़सोस हुआ
हाथों से जब हाथ किसी का छूटा तो अफ़सोस हुआ
कितनी नाव डुबो कर हम ने दरिया का रुख़ बदला था
मोड़ पे आ कर सूख गया जब दरिया तो अफ़सोस हुआ


दिल का कर्ब छुपाने का फ़न मुश्किल है आसान नहीं
हँसते हँसते उस को रोता देखा तो अफ़सोस हुआ
ये मत पूछो उन से क्या क्या उम्मीदें वाबस्ता थीं
पत्थर से टकरा के शीशा टूटा तो अफ़सोस हुआ


दुनिया की बे-राह-रवी पर पहरों सोचा करता था
आज ज़रा अपने बारे में सोचा तो अफ़सोस हुआ
दुनिया की मौहूम फ़ज़ा में क्या क्या कुछ हम भूल गए
भूले से 'इरफ़ान' कोई याद आया तो अफ़सोस हुआ


74520 viewsghazalHindi