बेजा तकल्लुफ़ात में कुछ भी नहीं बचा
By sajid-raheemFebruary 28, 2024
बेजा तकल्लुफ़ात में कुछ भी नहीं बचा
हद दर्जा एहतियात में कुछ भी नहीं बचा
अब तुम हमारे हाथ को आए हो थामने
अब तो हमारे हाथ में कुछ भी नहीं बचा
ज़िंदा हूँ एक ख़्वाब और इक आस के तुफ़ैल
वर्ना तो इस हयात में कुछ भी नहीं बचा
मलबे समेटने में गुज़ारी तमाम 'उम्र
मा'मूल-ए-हादसात में कुछ भी नहीं बचा
साइंस ने ला-शु'ऊर की परतें भी खोल दीं
पढ़ने को नफ़सियात में कुछ भी नहीं बचा
पेश-ए-नज़र रुमूज़-ए-विरासत न रख सके
हद-दर्जा इल्तिफ़ात में कुछ भी नहीं बचा
अब की तो बात और है वर्ना बिछड़ते वक़्त
लगता था काएनात में कुछ भी नहीं बचा
हद दर्जा एहतियात में कुछ भी नहीं बचा
अब तुम हमारे हाथ को आए हो थामने
अब तो हमारे हाथ में कुछ भी नहीं बचा
ज़िंदा हूँ एक ख़्वाब और इक आस के तुफ़ैल
वर्ना तो इस हयात में कुछ भी नहीं बचा
मलबे समेटने में गुज़ारी तमाम 'उम्र
मा'मूल-ए-हादसात में कुछ भी नहीं बचा
साइंस ने ला-शु'ऊर की परतें भी खोल दीं
पढ़ने को नफ़सियात में कुछ भी नहीं बचा
पेश-ए-नज़र रुमूज़-ए-विरासत न रख सके
हद-दर्जा इल्तिफ़ात में कुछ भी नहीं बचा
अब की तो बात और है वर्ना बिछड़ते वक़्त
लगता था काएनात में कुछ भी नहीं बचा
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