बाज़ू हैं तेरे हल्क़ा-ए-रद्द-ए-बला मुझे

By noman-badrFebruary 28, 2024
बाज़ू हैं तेरे हल्क़ा-ए-रद्द-ए-बला मुझे
ऐ शख़्स एक बार गले से लगा मुझे
तेरे बग़ैर जीने की 'आदत नहीं हुई
लेकिन ये तजरबा बड़ा महँगा पड़ा मुझे


मेरे बदन से जिस की महक जा नहीं रही
वो शख़्स भी समझने लगा दूसरा मुझे
उस के ब-क़ौल उस को कोई होश ही न था
वर्ना वो मुझ से मिल के बहुत चूमता मुझे


पैहम अज़िय्यतें हैं ये साँसें तिरे बग़ैर
लगने लगी है ज़िंदगी इक बद-दु'आ मुझे
तू कह रहा है सब्र करूँ इस जुदाई पर
सच-मुच अगर जुदाई पे सब्र आ गया मुझे


62809 viewsghazalHindi