बना दुर्दाना-ए-तस्बीह याद-ए-हक़ में हर आँसू
By piyare-lal-raunaq-dehlwiFebruary 28, 2024
बना दुर्दाना-ए-तस्बीह याद-ए-हक़ में हर आँसू
ये ए'जाज़-ए-'इबादत है मुसलसल देखते जाओ
मुनव्वर हर घड़ी काशाना-ए-दिल अपना रहता है
ख़याल-ए-यार की रौशन है मश'अल देखते जाओ
तक़ाज़ा-ए-जुनूँ है नाख़ुन-ए-वहशत को बढ़ने दो
ये होंगे 'उक़्दा-ए-दुश्वार सब हल देखते जाओ
असर है मेरे हर तार-ए-नफ़स में तार-ए-बर्क़ी का
ख़बर हर साँस की मिलती है पल-पल देखते जाओ
दु'आ-ए-मय-परस्ताँ रंग लाई मो'जिज़ा हो कर
उमँड आए हैं रहमत बन के बादल देखते जाओ
बिछाए हैं अदब ने मंज़िल-ए-दुश्वार में काँटे
ये राह-ए-'इश्क़ तय करनी है पैदल देखते जाओ
लगी हैं हज़रत-ए-ज़ाहिद की नज़रें सू-ए-मय-ख़ाना
न जाए आज चोरी कोई बोतल देखते जाओ
जुनूँ में हसरतें हैं सैंकड़ों वाबस्ता-ए-वहशत
नज़र आ जाएगा जंगल में मंगल देखते जाओ
ये ए'जाज़-ए-'इबादत है मुसलसल देखते जाओ
मुनव्वर हर घड़ी काशाना-ए-दिल अपना रहता है
ख़याल-ए-यार की रौशन है मश'अल देखते जाओ
तक़ाज़ा-ए-जुनूँ है नाख़ुन-ए-वहशत को बढ़ने दो
ये होंगे 'उक़्दा-ए-दुश्वार सब हल देखते जाओ
असर है मेरे हर तार-ए-नफ़स में तार-ए-बर्क़ी का
ख़बर हर साँस की मिलती है पल-पल देखते जाओ
दु'आ-ए-मय-परस्ताँ रंग लाई मो'जिज़ा हो कर
उमँड आए हैं रहमत बन के बादल देखते जाओ
बिछाए हैं अदब ने मंज़िल-ए-दुश्वार में काँटे
ये राह-ए-'इश्क़ तय करनी है पैदल देखते जाओ
लगी हैं हज़रत-ए-ज़ाहिद की नज़रें सू-ए-मय-ख़ाना
न जाए आज चोरी कोई बोतल देखते जाओ
जुनूँ में हसरतें हैं सैंकड़ों वाबस्ता-ए-वहशत
नज़र आ जाएगा जंगल में मंगल देखते जाओ
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