बदन के सारे जज़ीरे शुमार करते हुए

By salim-saleemFebruary 28, 2024
बदन के सारे जज़ीरे शुमार करते हुए
मैं थक गया हूँ समंदर को पार करते हुए
हम ऐसे अहल-ए-जुनूँ बज़्म-ए-आगही में हनूज़
क़ुसूर-ए-बे-ख़बरी बार-बार करते हुए


मैं अपना 'अक्स अब आख़िर कहाँ तलाश करूँ
हैं आइने मिरे चेहरे पे वार करते हुए
तिरी तलाश में आख़िर ये दिन तमाम हुआ
कटेगी रात तिरा इंतिज़ार करते हुए


रफ़ू-गरी का हुनर सीख ही लिया हम ने
ख़ुद अपने दिल की रिदा तार-तार करते हुए
26232 viewsghazalHindi