बा'द मरने के कोई बोसा-ए-रुख़्सत देगा

By aabid-umarApril 20, 2024
बा'द मरने के कोई बोसा-ए-रुख़्सत देगा
क्या ख़ुदा मुझ को भी ऐसी भली क़िस्मत देगा
ज़िंदगी है ये मियाँ रंज-ओ-अलम तो होंगे
जो गुज़ारेगा वो लाज़िम है कि क़ीमत देगा


फ़र्ज़ी दुनिया से निकल और हक़ीक़त लिख दे
शे'र परवाज़ करेगा तुझे 'इज़्ज़त देगा
देख मायूस न हो कुफ़्र नहीं कर प्यारे
बे-दिली छोड़ ख़ुदा तुझ को भी राहत देगा


कर गई 'उम्र अकारत मिरी हाए हाए
इक ग़लत-फ़हमी कि तू मुझ को मोहब्बत देगा
कुल मिला के है असासा मिरा ये उम्र-ए-रवाँ
रद नहीं होगी दु'आ रब मिरा बरकत देगा


मैं तो समझा था मोहब्बत का बुलावा है 'उमर'
क्या ख़बर थी वो मुझे मौत की दावत देगा
94167 viewsghazalHindi