'अजब है उस से कभी वस्ल हो नहीं पाया
By ananth-faaniFebruary 25, 2024
'अजब है उस से कभी वस्ल हो नहीं पाया
हमारे बीच में हर बार आइना आया
ग़ज़ल को सूद कहा और ग़म को सरमाया
हिसाब 'अक़्ल से क्या ख़ूब दिल ने करवाया
गगन के मानो कि जैसे कभी ये थे ही नहीं
परिंदों ने है क़फ़स को कुछ ऐसे अपनाया
कहा गया है इन्हें सुर लगाने को जब भी
हमारी आँखों ने मल्हार राग ही गाया
किसी को क़ब्र में ला-फ़ानियत हुई हासिल
किसी को ज़िंदगी ने जीते जी ही दफ़नाया
हमारे बीच में हर बार आइना आया
ग़ज़ल को सूद कहा और ग़म को सरमाया
हिसाब 'अक़्ल से क्या ख़ूब दिल ने करवाया
गगन के मानो कि जैसे कभी ये थे ही नहीं
परिंदों ने है क़फ़स को कुछ ऐसे अपनाया
कहा गया है इन्हें सुर लगाने को जब भी
हमारी आँखों ने मल्हार राग ही गाया
किसी को क़ब्र में ला-फ़ानियत हुई हासिल
किसी को ज़िंदगी ने जीते जी ही दफ़नाया
65907 viewsghazal • Hindi