'अहद-ए-शबाब मौसम-ए-ख़ंदाँ है और हम
By bishan-dayal-shad-dehlviFebruary 26, 2024
'अहद-ए-शबाब मौसम-ए-ख़ंदाँ है और हम
हर-सू निगार जल्वा-फ़रोशाँ है और हम
महफ़ूज़ दिल में शोरिश-ए-पैकाँ है और हम
ख़ल्वत-नवाज़ ख़ातिर-ए-मेहमाँ है और हम
सब्र-आज़मा तसव्वुर-ए-जानाँ है और हम
आँखों में आज हश्र का सामाँ है और हम
इक मंज़र-ए-गुज़ारिश-ए-पिंहाँ है और हम
उन के हुज़ूर दीदा-ए-हैराँ है और हम
दौर-ए-शराब सोहबत-ए-रिंदाँ है और हम
साग़र-ब-दस्त चश्म-ए-हसीनाँ है और हम
एहसास ने गुनाह की दुनिया समेट ली
अब रहमत-ए-तमाम का दामाँ है और हम
साग़र में आज 'आरिज़-ए-साक़ी का 'अक्स है
काफ़िर बनाए जाने का सामाँ है और हम
हिकमत से हो रही हैं तमन्ना-नवाज़ियाँ
तश्कील-ए-ख़्वाब हासिल-ए-अरमाँ है और हम
तकमील हो रही है मोहब्बत की इस तरह
मेहमानी-ए-तसव्वुर-ए-जानाँ है और हम
मुश्किल है 'शाद' रहना गिरानी के दौर में
अब पैरवी-ए-गोशा-नशीनाँ है और हम
हर-सू निगार जल्वा-फ़रोशाँ है और हम
महफ़ूज़ दिल में शोरिश-ए-पैकाँ है और हम
ख़ल्वत-नवाज़ ख़ातिर-ए-मेहमाँ है और हम
सब्र-आज़मा तसव्वुर-ए-जानाँ है और हम
आँखों में आज हश्र का सामाँ है और हम
इक मंज़र-ए-गुज़ारिश-ए-पिंहाँ है और हम
उन के हुज़ूर दीदा-ए-हैराँ है और हम
दौर-ए-शराब सोहबत-ए-रिंदाँ है और हम
साग़र-ब-दस्त चश्म-ए-हसीनाँ है और हम
एहसास ने गुनाह की दुनिया समेट ली
अब रहमत-ए-तमाम का दामाँ है और हम
साग़र में आज 'आरिज़-ए-साक़ी का 'अक्स है
काफ़िर बनाए जाने का सामाँ है और हम
हिकमत से हो रही हैं तमन्ना-नवाज़ियाँ
तश्कील-ए-ख़्वाब हासिल-ए-अरमाँ है और हम
तकमील हो रही है मोहब्बत की इस तरह
मेहमानी-ए-तसव्वुर-ए-जानाँ है और हम
मुश्किल है 'शाद' रहना गिरानी के दौर में
अब पैरवी-ए-गोशा-नशीनाँ है और हम
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