आँसुओं का एक हल्क़ा खींच कर

By farhat-ehsasFebruary 6, 2024
आँसुओं का एक हल्क़ा खींच कर
बुत बना बैठा हूँ सदमा खींच कर
एक कर डाला है सब माज़ी-ओ-हाल
वक़्त की डोरी को थोड़ा खींच कर


प्यास को बहला रहा हूँ देर से
रेत पर तस्वीर-ए-दरिया खींच कर
मुल्तवी करते रहे हम मौत को
इक ज़रा साँसों को उल्टा खींच कर


जल्द ले जा यार मुस्तक़बिल मिरे
हाल से सारा गुज़िश्ता खींच कर
बंद कर देता हूँ मिट्टी के किवाड़
इक ज़रा सा आब-ए-ताज़ा खींच कर


ला मिरी पहचान वापस कर मुझे
वर्ना दूँगा ख़ाली चेहरा खींच कर
मैं भी मिट्टी की तरह मज़बूत हूँ
देख ले सारा ज़माना खींच कर


आख़िर-ए-कार अपनी आँखें बंद कीं
एक सर्द आह-ए-तमाशा खींच कर
'फ़रहत-एहसास' एक मक़्नातीस है
ले गया है जाने क्या क्या खींच कर


40181 viewsghazalHindi